उच्चरक्तचाप को कैसे खत्म करे तथा दवाइयों के नाम/ What is Hypertension?

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हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप क्या होता है ?

हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है।

किस स्थिति को Hypertension कहते हैं?

आमतौर पर 140/90 से ऊपर के रक्तचाप को अतितनाव (हाइपरटेंशन) के रूप में परिभाषित किया जाता है. अगर दबाव 180/120 से ऊपर है तो इसे घातक माना जाता है.

हाइपरटेंशन के कारण क्या हैं? 

विशेषज्ञ कहते हैं कि हाइपरटेंशन का मुख्य कारण तनाव और अनियंत्रित खानपान होता है। इसके अलावा मोटापा, नींद की कमी, तैलीय पदार्थों का अधिक सेवन और नमक का अधिक सेवन भी इसके कुछ अन्य कारण हो सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि अपनी डाइट पर ध्यान दें।

हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप को कैसे ठीक करें?

  1. चिकित्सा आरम्भ करने से पहले यह निश्चित कर लेना चाहिए कि 'उच्चरक्त दाब' किस कारण से है- रीनल है अथवा इजेंशियल है।
  2. यदि रोगी को हृदय रोग हो चुका हो तो रोगी को परामर्श हेतु 'विशेषज्ञ' अथवा राजकीय अस्पताल भिजवा दें।
  3. रोगी को शान्ति प्रदायक औषधियाँ आवश्यक हैं।
  4. यदि रोगी का शारीरिक भार (वजन) बहुत अधिक है तो विभिन्न विधियों द्वारा उससे कम कराना आवश्यक है।
  5. औषधि का चयन रोगी की रोगावस्था को देखते हुए करना चाहिए, ताकि उसके कुप्रभाव कम हों। इस प्रकार की औषधियों की आवश्यकता रोगी को जीवन पर्यन्त हो सकती है। अतः रक्तचाप का सन्तुलन बनाये रखना ही पर्याप्त होता है।
  6. रोगी को धीरज/दिलासा दें कि उसको घबराने की आवश्यकता नहीं है यदि वह पथ्यापथ्य/अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें तो वह सामान्य जिन्दगी जी सकता है। इसके लिए अत्यावश्यक है रोगी को मानसिक शान्ति की। रोगी की मानसिक शान्ति के लिए योगा, ध्यान की उपयोगिता के विषय में जानकारी दें।
  7. रोगी को खाने में नमक का सेवन बिल्कुल नहीं लेना चाहिए अथवा उसका सेवन कम से कम करना चाहिए।
  8. जो रोगी धूम्रपान अथवा सुरा सेवन करते हों वह निषेध (मना) कर देना चाहिए।
  9. रोगी को यदि एक औषधि प्रयोग करने पर कु-प्रभाव हो तो, दूसरी औषधि बदल देना चाहिए। कुप्रभावों में नाक का बन्द होना, बुरे स्वप्न, नाक की रुकावट, अतिसार तथा नपुंसकता आदि होते हैं ।
  10. अधिक मोटे तथा भारी शरीर के रोगी को कम कैलोरी वाला भोजन लेना चाहिए, यथा-घी, तेल, तले-भुने पदार्थ, अण्डे, मांस-मछली, शुष्क मेवे-काजू, बादाम, अखरोट, नारियल आदि तथा आलू, चावल आदि कम मात्रा में दें अथवा बिल्कुल न दें।
  11. शारीरिक भार कम करने के लिए यदि सप्ताह में 1-2 दिन का उपवास रखें तो उत्तम है, ऐसा करने से शरीर से सोडियम का अधिक मात्रा में त्याग होता है जो लाभकर है। • रोगी को पूर्ण विश्राम करना चाहिए। किसी भी कारण से थका देने वाला कार्य कदापि करना ही नहीं चाहिए। रात को अच्छी/प्राकृत (गहरी नींद) आनी चाहिए। इस हेतु शान्त तथा एकान्त वातावरण में सोना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो नींद की गोली का उचित मात्रा में सेवन (चिकित्सक के परामर्श) से किया जा सकता है।
  12. रोगियों को किसी भी कार्य में जल्दबाजी, क्रोध और चिन्ता से बचना आवश्यक है। — रोगी को मानसिक परेशानी अथवा चिन्ता रहने पर निद्रालू औषधियाँ (यथा डायजीपाम एवं अन्य औषधियाँ) उचित मात्रा में देना हितकर है-

उच्चरक्तचाप को कम करने वाले दवाई के नाम / Names of medicines to reduce high blood pressure:-

  • टेबलेट काम्पोज (Calmpose) निर्माता रैनबैक्सी। 5 मिग्रा० की 1-1 गोली दिन में 2 बार सुबह व रात को सोते समय दें।
  • टेबलेट बेलियम (Valium) निर्माता-पीरामल हैल्थकेयर प्रयोग/सेवन विधि पूर्ववत् ।
  • टेबलेट जेप्रोज (Zeprose) निर्माता- सिपला। प्रयोग पूर्ववत्
  • टेबलेट प्लासीडोक्स (Placidox) निर्माता- लूपिन प्रयोग पूर्ववत्
  • टेबलेट अल्प्रेक्स एस०आर० (Alpraxc-SR) निर्माता-टोरेण्ट (यह अल्प्राजोलाम का योग है। प्रयोग/मात्रा पूर्ववत्

अन्य समकक्ष औषधियाँ/Other Equivalent Drugs:-

  • टेबलेट अल्प्राक्यूल (Alpraquil) निर्माता- लूपिन ।
  • टेबलेट रियन (Rian) निर्माता-मैप्रा 
  • टेबलेट ट्रानेक्स (Tranex) निर्माता -सिपला ।
  • टेबलेट एनक्सीगोन (Anxigon) निर्माता- ब्लूक्रास ।
  • टेबलेट एञ्जीलुम (Anzilum) निर्माता-कैडिला फार्मा ।
इसके साथ-साथ रोगी की नमक की मात्रा कम कर देना चाहिए एवं पूर्ण आराम 'करना चाहिए।
-हाइपरटेन्शन यदि रोगी को प्रारम्भिकावस्था में हो तो रोगी की चिकित्सा 'मूत्रल' (डाइयूरेटिक्स Diuretics) औषधियों से आरम्भ करना चाहिए, यथा-फ्रूसेमाइड (Frusemide)
इसके प्रयोग से शरीर में से पोटेशियम्र निकल जाता है व रोगी को कमजोरी अनुभव होती है, इसलिए साथ में पोटेशियम देना चाहिए।

पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

लेसिक्स टेबलेट 40 मिग्रा० (Lasix) निर्माता-सनोफी एवेनटिस। मात्रा - 40 मिग्रा० (एक टेबलेट) प्रतिदिन ।
• टेबलेट फ्रूसेनेक्स (Frusenex) निर्माता-जेनो / मात्रा पूर्ववत् ।
स्पाईरोनोलेक्टोन (Spironolactone)
इसके प्रयोग से शरीर में मूत्र के साथ शरीर से पोटेशियम नहीं निकलता है।

पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

एल्डेक्टोन टेबलेट 25 व 100 मिग्रा० (Aldactone) निर्माता-आर० पी०जी० । मात्रा-25 से 100 मिग्रा० प्रतिदिन । मात्रा के रूप में अथवा 2-3 समान मात्राओं में विभाजित करके ।
नोट - इसको क्रूसेमाइड के साथ मिलाकर भी दिया जा सकता है।

एण्टी हाइपरटेन्सिव औषधियाँ

कम से अधिक ब्लडप्रेशर रहने पर नीचे लिखी औषधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं— हाइपरटेन्शन+पेल्पीटेशन+चिन्ता - रोगी को प्रोपरनोलोल (Pro pranolol) सेवन करायें। यह औषधि हृदय की तेज धड़कन को कम करने में अत्याधिक उपयोगी है। मात्रा - 40 मिग्रा० दिन में 2 बार (आवश्यकतानुसार यह मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

  1. टेबलेट बीटाब्लोक फोर्ट (Betabloc) निर्माता - यू० एस० वी० । 
  2. टेबलेट कोरबीटा (Corbeta) निर्माता-निकोलस ।
  3. टेबलेट मेनोप्रोलोल (Manoprolol ) निर्माता-मेनो ।
  4. टेबलेट सिपलार (Ciplar) निर्माता- सिपला
  5. टेबलेट इनडीराल (Inderal) निर्माता-आई०सी०आई० ।

सावधानी - इस औषधि को हृदय जनित शांक, हृदरोध, श्वास, दमा, चयापचयी अम्ल रक्तता, साइनस ब्राडीकार्डिया, पार्सियल हार्ट ब्लॉक, गम्भीर स्वरूप के रक्तस्राव आदि अवस्थाओं में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
मेंटोप्रोलोल (Metoprolol) व एटीनोलाल (Atenolol)
• ये औषधियाँ अधिक कार्डियो सेलेक्टिव है।
मिटोप्रोलोल, मात्रा - 100-200 मिग्रा० 2 समान विभाजित मात्राओं में।

प्रमुख पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

बीटालोक टेबलेट (Betaloc) निर्माता-एस्ट्राजेनेका । 
• टेबलेट मेटोलार (Metolar) निर्माता- सिपला ।
• टेबलेट मेटो (Meto) निर्माता-मेनो । 
• टेबलेट इम्बीटा (Embeta) निर्माता इण्टास ।

सावधानी - अस्थमा / Copd, ब्रैडीकार्डिया, कार्डियोजेनिक शांक में यह औषधि सेवन न करायें।

एटीनोलोल (Atenolol)

मात्रा - 25-50 नित्य एक बार। अधिक 100 मिग्रा० प्रतिदिन ।

प्रमुख पेटेण्ड व्यवसायिक उत्पादन

  1. टेबलेट एटीकाइण्ड (Atekind) निर्माता-मैनकाइण्ड । 
  2. टेबलेट एटीलोल (Atelol) निर्माता थेमिस
  3. टेबलेट एटीनोवा (Atenova) निर्माता- लूपिन
  4. टेबलेट बीटाकार्ड (Betacard) निर्माता-टोरेण्ट । 
  5. टेबलेट बी०पी० नोर्म (B.P. Norm) निर्माता -मेडले
  6. टेबलेट बी०पी० नोल (B.P. Nol) निर्माता - एल्डर ।
  7. टेबलेट हिप्रेस (Hipres) निर्माता- सिपला
  8. टेबलेट लोनोल (Lonol) निर्माता- खण्डेलवाल । 
  9. टेबलेट टीनोलोल (Tenolol) निर्माता-इपका
  10. टेबलेट टीनोर्मिन (Tenormon) निर्माता-निकोलस पीरामल ।
मिथाइल डोपा (Methyldopa) साधारण व मध्यम दर्जे/श्रेणी के उच्च रक्तचाप की बहुत ही लाभकर औषधि है। इसके विपरीत प्रभाव भी कम है।
मात्रा - 0.5 से 2 ग्राम प्रतिदिन विभाजित मात्रा दें।

प्रमुख पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

  • टेबलेट एल्फाडोपा (Alphadopa) निर्माता-मैरिण्ड । 
  • सेमनीना टेबलेट (Sembrina) निर्माता एवेनटिस ।
  • टेबलेट डोपागयेट (Dopagyt) निर्माता-थेमिस।
  • टेबलेट एम डोपा (Emdopa) निर्माता-आई०डी०पी०एल० । 
सावधानी - पीलिया, यकृत की खराबी, मानसिक विकार में न दें।

बीटेलाल (Labitalal)

इसको समस्त प्रकार के उच्च रक्तचाप में दे सकते हैं।
मात्रा-20-40 मिग्रा० 2-3 बार प्रतिदिन । इसको बढ़ाकर 100-200 मिग्रा०दिन में 2-3 बार दे सकते हैं।
  1. टेबलेट लोबीट (Lobet) निर्माता - सम्राट ।
  2. टेबलेट नोर्माडट (Normadate) निर्माता जी०एस० के० । 
  3. टेबलेट एल० बीटा (L Beta) निर्माता-प्लेथिको ।

प्राजोसिन (Prazosin)

यह सामान्य से मध्यम प्रकार के उच्च रक्तचाप में उपयोगी है। उच्च रक्तचाप सम्बन्धी परेशानियां, मस्तिष्क में गांठ, पौरुष ग्रन्थि की अति मृदु वृद्धि, ब्लेडेर नेक विकार में भी लाभकारी है।
मात्रा - प्रारम्भिक मात्रा 0.5 मिग्रा० दिन में 2 बार। बढ़ाते हुए 1 मिग्रा० दिन में 2-3 बार मेन्टेनेन्स मात्रा - 20 मिग्रा० प्रतिदिन विभाजित मात्राओं में । सावधानी— स्तनपान कराने वाली स्त्रियों (माताओं) को न दें।

प्रमुख पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

  1. टेबलेट प्राजोप्रेस (Prazopress) निर्माता सनफार्मा ।
  2. मिनी प्रेस एक्स एल गिट्स (Minipress-XL Gits) निर्माता - फाईजर ।
  3. कैपसूल सायबर सी०आर० (Cyber-CR) निर्माता- रेप्टाकोस ।

निफेडीपीन (Nifedipine)

इसका उपयोग उच्च रक्तदाब, हृद्शूल, साइलेण्ट इस्येमिक हार्टडिजीज, पोस्टमायोकार्डियल इन्फार्कशन, आधा सीसी का दर्द (माइग्रेन), हाइपरटेन्सिव इमरजेन्सीज, एञ्जाइना से बचाव तथा चिकित्सा में सफलतापूर्वक किया जाता है। यह एक अच्छी वाहिका विस्फारक तथा हृदयशूल में काम आने वाली औषधि है। यह कोरोनरी धमनी को खोलती है तथा उसके रक्त प्रवाह को बढ़ा देती है। यह प्रकुञ्चन व हृत्प्रसार दोनों ब्लडप्रेशर को कम करती है।
मात्रा-10-20 मिग्रा० दिन में 3 बार अधिकतम 20-80 मिग्रा० प्रतिदिन दो विभाजित मात्राओं में।

सावधानी- स्तनपान कराने वाली माताओं को सेवन न करायें।

पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन प्रमुख 

  1. टेबलेट, कैपसूल एञ्जीब्लोक (Angiblock) निर्माता-अल्केम ।
  2. टेबलेट एडाल्टरिटार्ड (Adalat Retard) निर्माता- बायर 
  3. कैंपसूल, एस०आर० टेबलेट कार्डीपिन (Cardipin) निर्माता-इण्टास
  4. कैपसूल डेपीन (Depin) निर्माता -जायड्स कैडिला
  5. कैपसूल, टेबलेट मायोगार्ड (Myogard) निर्माता-आर० पी०जी० । 
  6. टेबलेट निफेडाइन (Nifedine) निर्माता-निकोलस ।
  7. टेबलेट निफीलेट (Nifelat) निर्माता- सिपला ।
  8. कैपसूल टेबलेट निकार्डिया (Nicardia) निर्माता - यूनिक ।

रेसर्पिन (Reserpine)

इसका उपयोग उच्च रकतदाब, उच्च रक्तचाप सम्बन्धी आपातकाल तथा गर्भावस्था की रक्त विषण्णता (टॉक्सीमिया ऑफ प्रेगनेन्सी) में किया जाता है।
मात्रा - प्रारम्भिक मात्रा 0.25-0.5 मिग्रा० अधिकतम मात्रा 1.5 मिग्रा० प्रतिदिन ।

प्रमुख पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन

  1. टेबलेट सर्पासिल (Serpasil) निर्माता-नोबारटिस इण्डिया ।
  2. टेबलेट सर्पालजीनो (Sarpalzino) निर्माता-जेनो ।
  3. टेबलेट जीनोफेन (Genophane) निर्माता - जेनो ।
  4. टेबलेट एडीलफेन (Adelphane) निर्माता-सैण्डोज (नोवारटिस)।
  5. टेबलेट एडील्फेन इसीड्रेक्स (Adelphane Esidrex) निर्माता- पूर्ववत्

मिश्रित औषधि चिकित्सा (Drug Combinations)

  • रोगी को यदि एक औषधि के सेवन से आराम न होता हो तो एक एण्टी हापरटेन्सिव के साथ मूत्रल (डाइयूरेटिक) मिलाकर दे सकते हैं।
  • आजकल बहुत सी दवा निर्माता कम्पनियाँ काम्बीनेशन में औषधियों का निर्माण करती हैं, जिनको ज्यादा हाइपरटेन्शन में दे सकते हैं।
  • किसी भी हाइपरटेन्शन ग्रस्त रोगी के लिए नीचे लिखी विधिनुसार चिकित्सा आरम्भ करना चाहिए-
Sterp (1) – मूत्रल (डाइयूरेटिक)
Sterp (2) - यदि मूत्रल (डाइयूरेटिक) से ब्लडप्रेशर कम न हो तो उसके साथ रिसर्पिन, मिथाइल डोपा दे सकते हैं।

विशेष-

रिसर्पिन, मिथाइलडोपा अलग से भी दे सकते हैं। 
Step (3) यदि मूत्रल औषधि (डाइयूरिटिक) के साथ एण्टीहाइपर टेन्सिव औषधि से भी रोगी को आराम न हो तो तीसरी दवा मिलाकर दें, यथा-प्राजोसिन (Prazosin) अथवा अन्य ।
Step (4) — रोगी को राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाकर उपचार करवायें। 

सावधानी-

बहुत बार रोगी को औषधि देने से रोगी का ब्लडप्रेशर बहुत कम हो जाता है। इस बात का अवश्य ध्यान रखें। रोगी के ब्लडप्रेशर को निरन्तर मापें। ब्लडप्रेशर के सामान्य (नार्मल) आने पर रोगी को नियन्त्रित थैरेपी पर रखें।
ब्लड प्रेशर की आधुनिक औषधियाँ (विशेषज्ञों की राय में) यदि रोगी को केवल उच्च रक्तचाप (High B.P.) हैं, साथ में कोई अन्य रोग नहीं है

तो नीचे लिखी औषधियों में से कोई एक औषधि आरम्भ करें-

  1. टेबलेट एम्लोप्रेस ए०टी० (Amlopress-AT) (यह एमलोडिपीन 5 मिग्रा०+एटेनोलोल 25 मिग्रा० का योग है।) निर्माता- सिपला। प्रतिदिन सुबह-शाम नाश्ते के बाद दें।
  2. टेबलेट एटीनोलोल (Atenolol) पेटेण्ट व्यवसायिक नाम हिप्रेस (Hipres) निर्माता-पूर्ववत् 50 मिग्रा० या 100 मिग्रा० प्रतिदिन सुबह या शाम ।

अन्य समकक्ष लाभकर औषधियाँ 

  1. टेबलेट सिपलार (Ciplar) 40 से 120 मिग्रा० तक 1-1 गोली सुबह, दोपहर व रात को ।
  2. टेबलेट इनवास (Envas) 5 मिग्रा० 1 गोली सुबह या शाम । 
  3. टेबलेट अल्प्राक्स (Alprax). 25 मिग्रा0 से 5 मिग्रा० या 1 मिग्रा० तक दिन में 1 से 3 बार दे सकते हैं। ये तनाव (टेन्शन Tension) दूर करके B.P. को ठीक करती है।

विशेष नोट-

कोई भी रोगी जिसकी अवस्था 65 वर्ष के नीचे हो तथा जिसका अनुशिथिलन रक्तदाब (डायस्टोलिक B.P.) 100 मिली० से अधिक हो तो उसको उच्च रक्तदाब को कम करने के लिए औषधि अवश्य लेनी चाहिए, परन्तु 45 वर्ष आयु के पुरुष और 35 वर्ष आयु की महिला को 90 मिली० से अधिक डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर पर ही रक्तदाब को नियन्त्रित करने के लिए औषधि लेनी चाहिए ।

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